विषु त्योहार: खुशी और समृद्धि का प्रतीक

विषु त्योहार का महत्व
विषु त्योहार, जो हर साल अप्रैल में मनाया जाता है, केरल के लोगों के लिए नववर्ष का प्रतीक है। यह त्योहार जब मनाया जाता है, तो लोग अपने घरों में देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और नए साल की शुरुआत को खुशी से मनाते हैं। विषु का अर्थ है ‘बदलाव’ और इस समय नए अवसरों की शुरुआत का संकेत है। इसे विशेष रूप से धान की खेती के मौसम के प्रारंभ के साथ जोड़ा जाता है, जिससे यह कृषि के महत्व को भी दर्शाता है।
विषु के समारोह
विषु के समारोह में कई अनोखे रिवाज शामिल होते हैं। खास तौर पर ‘विशुक्कणी’, जहां सुबह के समय नया साल का पहला दृश्य तैयार किया जाता है। इसमें विभिन्न वस्तुएं जैसे कि धान, कुमकुम, नारियल और सोने की वस्तुएं रखी जाती हैं। यूं तो विषु का उत्सव एक परिवारिक कार्यक्रम होता है, लेकिन कई लोग इसे सामाजिक रूप से भी मनाते हैं।
विषु के दिन महिलाएं विशेष रूप से सजती हैं और पारंपरिक केरल के वस्त्र पहनती हैं। परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर विषु की विशेष व्यंजन ‘विशु कुट्टन’ का आनंद लेते हैं, जिसमें उड़द दाल, चावल के साथ विविध सब्जियों का मिश्रण होता है। विषु पूजा के बाद आदान-प्रदान की रस्में भी होती हैं, जिसमें लोग खुशी-खुशी एक-दूसरे को उपहार देते हैं।
निष्कर्ष
विषु त्योहार केरल की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल नववर्ष के आगमन का प्रतीक है, बल्कि खुशहाली और समृद्धि का भी संदेश देता है। हर साल, विषु महोत्सव Menschen को एक साथ लाता है और उन्हें उम्मीदों और नई शुरुआत के साथ जोड़ता है। इसके साथ ही, यह युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक पहचान का एहसास कराता है। विषु न केवल एक त्योहार है, बल्कि यह केरल के समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल के रूप में बना रहेगा।