शक्तिकांत दास: भारत के आर्थिक नायक
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परिचय
शक्तिकांत दास, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर, भारतीय वित्तीय प्रणाली के महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं। उनकी नीतियों और निर्णयों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता और वृद्धि के पथ पर अग्रसर किया है। कोविड-19 महामारी के दौरान, उन्होंने अनेक ऐसे उपाय किए हैं जिनसे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में मदद मिली।
शक्तिकांत दास का करियर
शक्तिकांत दास, जो 12 दिसंबर 1960 को जन्मे, 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल होने से पहले विभिन्न मंत्रालयों में कार्यरत रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय, आर्थिक मामलों और वित्तीय सेवा विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। RBI के गवर्नर बनने से पहले, उनका योगदान आर्थिक नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण रहा है।
गवर्नर के रूप में कार्यकाल
दास ने 12 दिसंबर 2018 को RBI गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जैसे कि नकदी संकट के दौरान बैंकों को सहायता प्रदान करना और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बैंकों के लिए तरलता के उपाय करने। उनकी अध्यक्षता में, RBI ने वित्तीय स्थिरता और मुद्रास्फीति नियंत्रण के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है।
महत्वपूर्ण निर्णय और नीतियाँ
शक्तिकांत दास के नेतृत्व में, RBI ने कई मौद्रिक नीतियाँ अपनाई हैं, जो देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद कर रही हैं। उनकी नीतियों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना, छोटे एवं मध्यम व्यवसायों के लिए ऋण उपलब्धता में सुधार और विनियामक ढांचे को समायोजित करना शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतियों में बदलाव किए हैं।
निष्कर्ष
शक्तिकांत दास का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण समय है। उनका दृष्टिकोण और निर्णय न केवल आज के समय में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आने वाले समय में भी भारतीय वित्तीय स्थिरता के लिए मार्गदर्शक रहेंगे। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था पुनः सामान्य हो रही है, वे भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों के माध्यम से और भी नए दृष्टिकोण प्रदान करेंगे।