সোমবার, ফেব্রুয়ারি 24

ट्रिविक्रम: कर्णाटकी फिल्म उद्योग में उनकी भूमिका

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ट्रिविक्रम का परिचय

ट्रिविक्रम श्रीनिवास, जो लोकप्रियता के कारण केवल ट्रिविक्रम के नाम से जाने जाते हैं, एक प्रमुख भारतीय फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक हैं। उनका जन्म 7 नवम्बर 1972 को आंध्र प्रदेश के भिमावरम में हुआ था। फिल्म उद्योग में अपनी कड़ी मेहनत और रचनात्मकता के लिए जाने जाने वाले ट्रिविक्रम ने कर्नाटका फिल्म जगत में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है।

उद्योग में योगदान

ट्रिविक्रम ने अपने करियर की शुरुआत 1999 में फिल्म “जुलाई” से की, जिसमें उन्होंने सहायक निर्देशक की भूमिका निभाई। इसके बाद उनकी कई फिल्मों ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई, जैसे “अला मोणागल में”, “سونू के टीटू की स्वीटी”, और “खालिदास”। उनकी फिल्मों की विशेषता यह है कि वह हमेशा हास्य, प्रेम और पारिवारिक भावनाओं को बेहद आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

साम्प्रतिक काम और सफलताएँ

हाल ही में, ट्रिविक्रम की फिल्म “सोलेडान टेम्पल” ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की है। इस फिल्म ने न केवल उच्चतम संग्रह किया बल्कि समीक्षकों से भी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं पाई। ट्रिविक्रम की अनूठी शैली और उनकी गहरी कहानी कहने की कला ने उन्हें कर्नाटका सिनेमा के अनिवार्य नामों में से एक बना दिया है।

भविष्य की योजनाएँ

ट्रिविक्रम का कहना है कि वह आगे भी नये विषयों पर काम करना चाहते हैं और हमें आने वाले समय में नई फिल्में देखने को मिलेंगी। उनकी महत्वाकांक्षा है कि वह समाज में विभिन्न मुद्दों को सिनेमा के माध्यम से प्रस्तुत करें।

निष्कर्ष

ट्रिविक्रम ने कर्णाटकी फिल्म उद्योग में अपनी विशेष स्थिति स्थापित की है और उनकी फिल्मों ने दर्शकों का प्यार पाया है। उनके आगामी प्रोजेक्ट्स से भी उनके फैंस को अच्छी उम्मीदें हैं। उनकी रचनात्मकता और समर्पण निश्चित ही आने वाले वर्षों में उन्हें और सफल बनाएंगे।

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