সোমবার, আগস্ট 25

Naat: इस्लाम में अद्भुत धार्मिक कविता

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Naat का परिचय

Naat, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘प्रशंसा’ या ‘सना’, इस्लाम में वह विशेष प्रकार की कविता है जो पैगंबर मोहम्मद (सलललाहु अलैहि व सलम) की तारीफ करती है। यह गीतात्मक रूप में होती है और इसे आम तौर पर उर्दू, अरबी या फारसी भाषाओं में लिखा जाता है। नात की प्रमुखता इस्लाम में इसलिए है कि यह सभी विश्वासी मुसलमानों द्वारा अपनी धार्मिक भावना और समर्पण को प्रदर्शित करने का एक माध्यम है।

नात का महत्व

नात केवल एक साहित्यिक कृति नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक अनुभव भी है। मुसलमानों के लिए नात पढ़ना और सुनना, उनके मुहब्बत और श्रद्धा को प्रकट करता है। यह विभिन्न समारोहों, जिसमें महफिल-ए-नात, और धार्मिक उत्सव शामिल हैं, में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नात सुनने से शांति, सुकून और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

हाल ही के नात कार्यक्रम

हाल में, भारत के कुछ प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, और लुधियाना में कई नात कार्यक्रम आयोजित हुए हैं। इन कार्यक्रमों में जाने-माने नातख्वाँ ने अपनी आवाज़ में पाक नातें प्रस्तुत कीं। कोविड-19 के बाद, इन आयोजन की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है, क्योंकि लोग अब सामूहिक रूप से धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना पसंद कर रहे हैं। इसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी उपस्थित होते हैं, जो एकत्र होकर अपनी धार्मिक आस्था को व्यक्त करते हैं।

निष्कर्ष

Naat न केवल इस्लामी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, बल्कि यह एक ऐसा साधन है जो मुसलमानों को एकजुट करने और धार्मिक आस्था को बढ़ाने में मदद करता है। इसकी महत्ता समय के साथें और भी बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में, नात कार्यक्रमों की अधिक संख्या और विविधता देखने की उम्मीद है, जिससे नई पीढ़ी भी इस सुरीली परंपरा से जुड़ सके।

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