শুক্রবার, জুলাই 11

IIST: भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में उत्कृष्टता का केंद्र

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IIST का परिचय

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (IIST) का संस्थान, जो कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा स्थापित किया गया था, भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। IIST का मुख्य उद्देश्य छात्रों को वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करना है, जो भारत की अंतरिक्ष गतिविधियों में योगदान दे सकें।

IIST की स्थापना और उद्देश्यों

IIST की स्थापना 2007 में भारत सरकार के अधिनियम के तहत हुई थी। इसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के पास वाडियाट्टिल में स्थित है। IIST का उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शिक्षा, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है। IIST विशेषकर अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम प्रदान करता है।

नवीनतम विकास

2023 में, IIST ने कई महत्वपूर्ण शोध परियोजनाओं की घोषणा की है, जिनमें उपग्रह विकास और महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों के लिए प्रशिक्षण शामिल है। इसे पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबद्धता और शोध सहयोग में वृद्धि हुई है। IIST के शोधकर्ताओं ने भारत के चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3 में अहम भूमिका निभाई थी, जिसने 2023 में चांद पर सफल लैंडिंग की।

महत्व और भविष्यवाणियाँ

IIST आने वाले वर्षों में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसकी शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमताएँ, नई तकनीकों के विकास и अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि IIST का प्रभाव भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण साबित होगा, बशर्ते इसे और अधिक संसाधनों और अवसरों के साथ समर्थित किया जाए।

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