শুক্রবার, অক্টোবর 24

Chhath Puja: सूर्य देवता की पूजा का अद्भुत पर्व

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Chhath Puja का महत्व

Chhath Puja, भारत के विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी माता की आराधना के लिए समर्पित है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का उद्देश्य सूर्य देवता से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करना है। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोगों को एक साथ लाता है और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है।

Chhath Puja का इतिहास

Chhath Puja का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका पालन विभिन्न किंवदंतियों और मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यह पर्व तिरहुत क्षेत्र से प्रारंभ हुआ था और इसके आयोजन का उद्देश्य कृषि और प्राकृतिक सौंदर्य का सम्मान करना है। परंपरागत रूप से, इस दिन को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को मनाया जाता है, और यह पर्व मुख्यतः महिलाओं द्वारा आयोजित किया जाता है।

Chhath Puja के अनुष्ठान

Chhath Puja के दौरान चार प्रमुख अनुष्ठान किए जाते हैं। पहले दिन को ‘नहाय खाय’ कहते हैं, जहां श्रद्धालु नहाकर खास पकवान बनाते हैं। दूसरे दिन को ‘खरना’ कहा जाता है, इस दिन उपवास के बाद मिठाई का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है। तीसरे दिन को ‘संध्या अर्ध्य’ कहा जाता है, जिसमें सूर्य देवता को अर्ध्य दिया जाता है। अंतिम दिन को ‘प्रात: अर्ध्य’ कहा जाता है, जहां सूर्योदय के समय पुनः अर्ध्य दिया जाता है।

Chhath Puja का सामाजिक महत्व

Chhath Puja न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सद्भावना को भी दर्शाता है। इस पर्व के दौरान भक्ति, अनुशासन और कार्य में समर्पण का महत्व विशेष रूप से देखा जाता है। परिवार और समुदाय के लोग एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं, जिससे आपसी संबंध मजबूत होते हैं।

निष्कर्ष

Chhath Puja 2023 एक विशेष अवसर है, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा की महानता को दर्शाता है। यह पर्व न केवल सूर्य देवता की उपासना है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति भी सम्मान व्यक्त करता है। आगे भी यह पर्व जनमानस में अपनी उसी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता रहेगा।

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