রবিবার, অক্টোবর 5

ASEAN: एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संघ की भूमिका

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ASEAN का परिचय

आसियान (ASEAN) यानी ‘दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संघ’ एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 8 अगस्त 1967 को की गई थी। इसके संस्थापक सदस्य ब्रुनेई, मलेशिया, फिलिपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड और इंडोनेशिया हैं। आज, इसके 10 सदस्य देश हैं, जिनमें बर्मा (म्यांमार), लाओस, कम्बोडिया और वियतनाम भी शामिल हैं। ASEAN का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया में शांति, सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है और यह एकीकृत क्षेत्रीय सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ASEAN का महत्व

ASEAN का महत्व भारत सहित अन्य देशों के लिए बढ़ रहा है, विशेषकर महामारी के बाद। COVID-19 के दौरान, ASEAN देशों ने साथ मिलकर स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए सामूहिक कदम उठाए। इस सहयोग ने यह दर्शाया कि किस प्रकार क्षेत्रीय एकता और सहयोग से जटिल समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, व्यापार और आर्थिक सहयोग में वृद्धि भी ASEAN का एक प्रमुख उद्देश्य है। 2022 में, ASEAN ने अपनी GDP में लगभग 5.2% की वृद्धि दर्ज की, जो इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिरता को दर्शाता है।

पूर्ण सदस्यता और सहयोग

ASEAN में भारत की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। 1992 में ASEAN-भारत व्यापार और आर्थिक समर्पण की शुरुआत के बाद से दोनों पक्षों के बीच सहयोग बढ़ा है। इसके आधार पर, भारत और ASEAN देशों के बीच व्यापार में तेजी आई है, और भारत ने विशेष रूप से एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को मधुर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भविष्य की संभावनाएं

भविष्य में, ASEAN के देशों के बीच अधिक गहन सहयोग की संभावना है। जलवायु परिवर्तन, डिजिटलीकरण, और सामयिक संकटों का सामना करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही, ASEAN का वैश्विक मंच पर महत्व भी बढ़ेगा, क्योंकि यह एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है।

निष्कर्ष

संक्षेप में, ASEAN न केवल दक्षिण पूर्व एशिया के लिए, बल्कि भारत समेत अन्य देशों के लिए भी एक बहुउद्देशीय मंच है। इसकी सामूहिकता और सहयोग क्षमता वैश्विक मुद्दों पर समाधान खोजने में सहायक है, और भविष्य में इसके महत्व में और वृद्धि की संभावना है।

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