AQI: वायु गुणवत्ता सूचकांक की महत्वता

AQI क्या है?
AQI, यानि वायु गुणवत्ता सूचकांक, एक मानक माप है जो वायु प्रदूषण की स्थिति को दर्शाता है। यह सूचकांक स्वास्थ्य के लिए संभावित जोखिमों को दर्शाता है और यह समाज के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें बताता है कि हमारे आस-पास की हवा कितनी स्वस्थ या अस्वस्थ है।
AQI का मापन कैसे होता है?
AQI आमतौर पर विभिन्न प्रदूषकों, जैसे कि PM2.5, PM10, CO, SO2, NO2, और O3, के स्तर के आधार पर मापा जाता है। ये प्रदूषण के स्तर को समझने में मदद करते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य जोखिमों को इंगित करते हैं। भारत में, AQI का मापन 0 से 500 के स्केल पर किया जाता है, जहां 0-50 के स्तर को “अच्छा” माना जाता है, जबकि 301-500 “खतरनाक” स्थिति को दर्शाता है।
वर्तमान स्थिति
हाल ही में, भारत के कई शहरों में AQI में वृद्धि देखी गई है, खासकर दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में। दिल्ली की स्थिति तो विशेष रूप से चिंताजनक है, जहां कई बार AQI 400 को पार कर गया है। जलवायु परिवर्तन, अव्यवस्थित शहरीकरण और उद्योगों की वृद्धि का इस पर गहरा प्रभाव है। उदाहरण के लिए, पिछले महीने की प्रधानता के साथ, पिछले साल के समान अवधि की तुलना में प्रदूषण स्तर में 20% की वृद्धि हुई है।
सेहत पर प्रभाव
AQI के उच्च स्तर से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। जब AQI 100 के पार जाता है, तो यह संवेदनशील समूहों जैसे बच्चों, बुजुर्गों और दमा के मरीजों के लिए खतरा बन सकता है।长期 और उच्च मात्रा में प्रदूषकों के संपर्क में आने से श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
AQI हमें हमारे परिवेश के बारे में सूचित करता है और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम स्वच्छ हवा में साँस ले रहे हैं। सरकारों और नागरिकों को प्रदूषण कम करने के प्रयासों को विकसित करना चाहिए। ऐसे में, हर व्यक्ति को AQI की जानकारी रखना और उसके अनुसार कार्रवाई करना आवश्यक है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हम सब मिलकर वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयास करें।