সোমবার, অক্টোবর 20

AQI: वायु गुणवत्ता सूचकांक और हमारा स्वास्थ्य

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परिचय

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो हमें वायु की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी देता है। यह सूचकांक वायु में प्रदूषण के स्तर को मापता है और उसकी गुणवत्ता को परिभाषित करता है। हाल के वर्षों में, वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने इस मुद्दे को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में, जहां वाहनों, उद्योगों और अन्य प्रदूषण स्रोतों की बहुतायत होती है।

AQI क्या है?

AQI एक संख्या है, जो विभिन्न प्रदूषकों जैसे पीएम2.5, पीएम10, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के आधार पर निर्धारित की जाती है। इस सूचकांक का स्केल 0 से 500 तक होता है, जिसमें 0-50 स्तर को “अच्छा” और 301-500 स्तर को “खतरनाक” माना जाता है। विविध स्तरों के अनुसार, लोगों को प्रभावित होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों की चेतावनी भी जारी की जाती है।

वर्तमान स्थिति

भारत में AQI के स्तर में पिछले कुछ समय में चिंता का विषय रहा है। हाल ही में, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में AQI ने उच्च स्तर पर पहुँच गया है। केंद्र और राज्य सरकारें वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कई नीति और कदम उठा रही हैं। उदाहरण के लिए, “सुपर स्प्रिट” जैसी परियोजनाएँ ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार करने के लिए और “द वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग” का गठन वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर रहे हैं।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर AQI का गहरा प्रभाव होता है। उच्च AQI स्तर पर श्वसन संबंधी समस्याएँ, एलर्जी, और अन्य स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि संवेदनशील व्यक्तियों को जैसे बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को हवा की गुणवत्ता पर नजर रखनी चाहिए और आवश्यक सतर्कता बरतनी चाहिए।

निष्कर्ष

वायु गुणवत्ता का सूचकांक (AQI) हमें वायु प्रदूषण की गंभीरता के बारे में जागरूक करता है और इसके स्वास्थ्य पर संभावित प्रभावों को दर्शाता है। इसे समझना जरूरी है ताकि हम अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकें और बेहतर पर्यावरण के लिए अपने हिस्से का योगदान दे सकें। आने वाले समय में, यदि प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, तो हम बेहतर वायु गुणवत्ता की उम्मीद कर सकते हैं।

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