বৃহস্পতিবার, আগস্ট 21

NFSA: नई खाद्य सुरक्षा कानून की आवश्यकता और प्रभाव

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NFSA का महत्व

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) भारत के नागरिकों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कानून बना है। 2013 में लागू इस अधिनियम का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध कराना है। यह भारत सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है, खासकर महामारी के बाद, जब खाद्य असुरक्षा एक प्रमुख चिंता बन गई।

NFSA के तहत क्या प्रदान किया गया है?

NFSA के तहत, पात्र परिवारों को प्रति व्यक्ति 5 किलो खाद्यान्न प्रति माह सस्ते दामों पर (रु. 1-3 प्रति किलो) प्रदान करने का प्रावधान है। इसमें चावल, गेहूं, और मोटे अनाज शामिल हैं। सरकार ने 81 करोड़ से अधिक लोगों को इस योजना के तहत कवर किया है। इसके अतिरिक्त, महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष ध्यान रखा गया है, जिससे उन्हें बेहतर पोषण मिल सके।

हालिया घटनाक्रम

हाल ही में, सरकारी अधिकारियों ने NFSA के तहत खाद्य वितरण प्रणाली की समीक्षा की है। इसमें यह जानने के लिए कि क्या सभी लाभार्थियों को सही मात्रा में खाद्यान्न मिल रहा है, विभिन्न राज्यों में सर्वेक्षण किए गए। इस समीक्षा का मुख्य उद्देश्य योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, महामारी के दौरान कई राज्यों ने मुफ्त राशन योजना भी लागू की थी, जिसे NFSA के तहत समर्थन प्राप्त हुआ था।

निष्कर्ष

NFSA एक महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा है जो नागरिकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है। यह योजना न केवल भूख को कम करने में मदद कर रही है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में भी एक कदम है। भविष्य में, इससे समग्र विकास के लिए एक सकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशा है। सरकार का लक्ष्य इस योजना को और मजबूत बनाना है ताकि किसी भी नागरिक को खाद्य असुरक्षा का सामना करना न पड़े।

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