বৃহস্পতিবার, আগস্ট 21

बिहार जीविका: ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

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बिहार जीविका का परिचय

बिहार जीविका कार्यक्रम, जिसे बिहार राज्य ग्रामीण जीविका मिशन (BSRLM) के नाम से भी जाना जाता है, का उद्देश्य ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करना और महिलाओं तथा गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना है। 2006 में शुरू हुआ यह कार्यक्रम, ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रमुख विशेषताएँ एवं लक्ष्य

बिहार जीविका योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण महिलाओं को संगठित करना और उन्हें सशक्त बनाना है। इसके अंतर्गत महिलाओं को बचत समूहों में शामिल किया जाता है, जहाँ वे न केवल बचत करती हैं बल्कि एक-दूसरे से सीखती भी हैं। यह कार्यक्रम कौशल विकास और उद्यमिता को भी बढ़ावा देता है ताकि ग्रामीण समुदाय विकास की दिशा में आगे बढ़ सकें।

हाल के घटनाक्रम और प्रभाव

हाल ही में, बिहार जीविका के अंतर्गत 1.5 लाख से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है, जिससे लाखों महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है। इन समूहों द्वारा विभिन्न स्वरोजगार जैसे कि खाद्य उत्पादन, हस्तशिल्प, और कृषि उत्पादों की बिक्री में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, इस योजना का positif प्रभाव विभिन्न सामाजिक मुद्दों जैसे कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी पड़ा है, क्योंकि लोग अब बेहतर जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

निष्कर्ष

बिहार जीविका योजना ने न केवल आर्थिक विकास को सुनिश्चित किया है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव में भी सहायक रही है। आने वाले वर्षों में, यह उम्मीद की जा रही है कि योजना और भी प्रभावी होगी और अधिक ग्रामीण महिलाओं एवं परिवारों को आत्मनिर्भर बनाएगी। इस तरह के कार्यक्रम निश्चित रूप से विकसित भारत की दिशा में एक सार्थक कदम हैं।

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