রবিবার, আগস্ট 17

फारूक अब्दुल्ला: कश्मीर की राजनीति में उनका प्रभाव

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फारूक अब्दुल्ला का परिचय

फारूक अब्दुल्ला, जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता हैं। उनका जन्म 21 अक्टूबर, 1937 को हुआ था। वह जम्मू और कश्मीर की राष्ट्रीय सम्मेलन (एनसी) पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष हैं। उन्हें अपने पिता, शेख अब्दुल्ला, के राजनीतिक धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है।

राजनीतिक करियर

फारूक अब्दुल्ला ने 1982 में पहली बार जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उनके कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाओं और सुधारों की शुरुआत की। हालाँकि, उनका राजनीतिक जीवन विवादों और चुनौतियों से भरा रहा है। 1990 के दशक में, कश्मीर में आतंकवाद की बढ़ती समस्या के चलते उनकी सरकार को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

वर्तमान घटनाक्रम

हाल के वर्षों में, फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू और कश्मीर में विशेष स्थिति के खत्म होने के बाद अपनी भूमिका को पुनः परिभाषित किया है। उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों पर विपरीत विचार व्यक्त किए हैं और क्षेत्र में राजनीतिक बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया है। 2020 में, उन्होंने एक बार फिर से केंद्र की पाकिस्तान नीति और अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया।

फारूक अब्दुल्ला की दृष्टि

फारूक अब्दुल्ला ने हमेशा कश्मीर के विकास में एक समावेशी दृष्टिकोण का समर्थन किया है। उनका मानना है कि जम्मू और कश्मीर का विकास तभी संभव है जब सभी समुदायों को एक साथ लाया जाए। उनका जोर हमेशा स्थानीय लोगों की आवाज सुनने और समस्याओं को हल करने पर रहा है।

निष्कर्ष

फारूक अब्दुल्ला कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण शख्सियत रहे हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन उनके विचार और दृष्टि हमेशा कश्मीर के समग्र विकास की ओर अग्रसर रहे हैं। आने वाले समय में, उनकी भूमिका जम्मू और कश्मीर की राजनीतिक दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

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