শনিবার, আগস্ট 16

श्यामा प्रसाद मुखर्जी: भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी का परिचय

श्यामा प्रसाद मुखर्जी (1901-1953) भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक और नेता थे। उनका जीवन और कार्य न केवल उनके समय में बल्कि आज भी भारतीय समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे, जिसने भारतीय राजनीति के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यहाँ के प्रतिष्ठित स्कूलों से प्राप्त की और फिर इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री पूरी की।

राजनैतिक करियर

मुखर्जी ने 1930 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ राजनैतिक जीवन की शुरुआत की, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाने का निर्णय लिया। 1951 में, उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक और आर्थिक मुक्ति के लिए भारतीय समाज को संगठित करना था।

जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर उनकी भूमिका

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू और कश्मीर के मुद्दे को देश के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए इस पर जोरदार अभियान चलाया। उन्होंने भारतीय संविधान के तहत जम्मू और कश्मीर को पूर्ण रूप से भारत का हिस्सा बनाने की आवश्यकता को महसूस किया।

मृत्यु और विरासत

12 जून 1953 को दिल्ली में उनकी रहस्यमयी मृत्यु ने राजनीति में हलचल मचा दी। उनकी जिंदगी और विचारों ने भारतीय राजनीति में सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीयता के विचारों के प्रति एक नई सोच को विकसित किया। उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है, और वे भारतीय जनसंघ का एक प्रतीक बन चुके हैं।

निष्कर्ष

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन और कार्य आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके सिद्धांत और विचार भारतीय राजनीति में स्वतंत्रता, एकता, और सांस्कृतिक पहचान के मूल्य को महत्व देते हैं। उनका योगदान न केवल भारतीय राजनीति में बल्कि भारतीय समाज में भी महत्वपूर्ण है।

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