শনিবার, আগস্ট 16

राष्ट्रीय गान: गर्व और एकता का प्रतीक

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राष्ट्रीय गान का महत्व

राष्ट्रीय गान किसी भी देश की पहचान और उसकी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा होता है। यह एक ऐसा संगीत है जो न केवल राष्ट्र की एकता को दर्शाता है, बल्कि उसमें पाई जाने वाली विविधताओं को भी दर्शाता है। भारत का राष्ट्रीय गान, ‘जन गण मन’, भारतीय नागरिकों में गर्व और एकता का एहसास कराता है।

राष्ट्रीय गान का इतिहास

‘जन गण मन’ की रचना रवींद्रनाथ ठाकुर ने की थी और इसे 1911 में पहली बार गाया गया था। यह गान भारत की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान व्यापक रूप से प्रयोग किया गया था और 1950 में इसे आधिकारिक राष्ट्रीय गान के रूप में स्वीकार किया गया। इस गान में भारत की विविधता, संस्कृति और एकता का संज्ञान लिया गया है।

राष्ट्रीय गान का स्वरूप

राष्ट्रीय गान में कुल पांच पंक्तियाँ होती हैं, जो सभी भारतीय राज्यों एवं समुदायों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसे 52 सेकंड में गाया जाता है। इनके शब्दों में भारत की विविधता, एकता और संस्कृति का सार है। इसके विभिन्न भावार्थों और संदर्भों की चर्चा हमेशा की जाती है।

महत्वपूर्ण दिवस और राष्ट्रीय गान

प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ‘जन गण मन’ का गाया जाना न केवल एक अनिवार्यता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में भी कार्य करता है। विभिन्न कार्यक्रमों और आयोजनों में भी इसका गायन किया जाता है, जिससे यह संपूर्ण राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बन जाता है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय गान, ‘जन गण मन’, भारतीय संस्कृति का प्रतीक है जो हमें एकजुट करता है। यह न केवल हमारे देश की शान है, बल्कि हमें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। इसे गाकर हम अपनी एकता और गरिमा का प्रदर्शन करते हैं, जबकि यह हमारी स्वतंत्रता और राष्ट्र प्रेम का भी प्रतीक है।

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