শনিবার, আগস্ট 2

जवाहरलाल नेहरू: स्वतंत्रता संग्राम के नायक

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परिचय

जवाहरलाल नेहरू, भारत के पहले प्रधानमंत्री, न केवल एक राजनेता, बल्कि एक दूरदर्शी नेता भी थे। वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सदस्यों में से एक थे और भारत के आधुनिक निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी नीतियाँ और दृष्टिकोण आज भी भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

जीवन और प्रारंभिक शिक्षा

नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। वे एक समृद्ध कश्मीरी पंडित परिवार से थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की और बाद में इंग्लैंड में इनर टेम्पल से कानून की पढ़ाई की। उनकी शिक्षा का प्रभाव उनके विचारों और दृष्टिकोणों पर स्पष्ट था।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

नेहरू ने 1919 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना शुरू किया। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में विविध आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराना था। यह उनकी दीर्घकालिक सोच और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के कारण ही संभव हुआ।

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल में उन्होंने औद्योगीकरण, विज्ञान और तकनीकी विकास, और सामाजिक न्याय पर ज़ोर दिया। उन्होंने “जय जवान जय किसान” का नारा देकर किसानों और सैनिकों के प्रति अपने समर्पण को दर्शाया। उनके द्वारा स्थापित संग्रहालय, संस्थान, और योजनाएँ भारत की विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित हुईं।

निष्कर्ष

नेहरू का जीवन और कार्य स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और विकास के प्रतीक रहे हैं। उनका योगदान भारतीय समाज की संरचना में महत्वपूर्ण है। उनकी सोच और दृष्टिकोन भारतीय राजनीति में आज भी प्रासंगिक हैं। उनका व्यक्तित्व और नीति जिन्होंने भारत को एक नई दिशा दी, वह हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। केवल एक अच्छे नेता ही नहीं, बल्कि वे एक महान मानवता प्रेमी थे, जिनका सपना एक ऐसा भारत था जिसमें सभी की गरिमा और अधिकार सुरक्षित हों।

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