শুক্রবার, জুলাই 18

रोहित वेमुला: एक संघर्ष और परिवर्तन की कहानी

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प्रस्तावना

रोहित वेमुला, जिनका जीवन और संघर्ष भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण चर्चा विषय बन चुका है, ने जातिगत भेदभाव और छात्र अधिकारों के प्रति अपनी आवाज उठाई। उनकी असामयिक मृत्यु ने ना केवल देशभर में छात्र आंदोलन को अंजाम दिया बल्कि समाज की एक बड़ी समस्या पर भी प्रकाश डाला।

घटनाक्रम

रोहित एक शोध छात्र थे जो हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे। 2015 में, वह एक विवाद का केंद्र बन गए जिसने देशभर में बहस छेड़ दी। रोहित और उनके साथियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ निष्कासन के फैसले के खिलाफ आवाज उठाई, जो कि उन पर लागु जातिगत भेदभाव के कारण था।

उनकी मौत ने छात्रों के अधिकारों और सामाजिक न्याय पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए। जब 17 जनवरी 2016 को रोहित ने आत्महत्या की, उस घटना ने एक बड़ा विवाद खड़ा किया जिससे विभिन्न राष्ट्रीय दलों और समाज के क्षेत्र से प्रतिक्रिया आई। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनकी मृत्यु ने भारत में शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भेदभाव को उजागर किया।

समाज में प्रभाव

रोहित के संघर्ष ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों में छात्रों को संगठित होने और अपनी आवाज उठाने की प्रेरणा दी। उनके नाम पर अनेक छात्र संगठनों ने आंदोलन शुरू किए और संसद में भी उनकी याद में चर्चा की गई। रोहित की कहानी ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि कैसे जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता आज भी भारतीय समाज में व्याप्त है।

निष्कर्ष

रोहित वेमुला की कहानी एक दर्दनाक लेकिन प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति के संघर्ष ने एक बड़े प्रश्न पर ध्यान केंद्रित किया। वर्तमान में, जब छात्र आंदोलन और सामाजिक न्याय की मांगें फिर से बढ़ रही हैं, रोहित का नाम हमेशा छात्रों के अधिकारों और समानता के प्रतीक के रूप में जीवित रहेगा। हमें यह याद रखना चाहिए कि उनके संघर्ष से मिली सीखें आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक हैं।

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