সোমবার, জুলাই 14

आरटीई: शिक्षा के अधिकार का महत्व और वर्तमान स्थिति

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आरटीई कानून का परिचय

शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून भारत में 2009 में लागू किया गया था। यह कानून सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। इसका उद्देश्य सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है, जिससे वे सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान कर सकें।

आरटीई का महत्व

आरटीई कानून ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण पेश किया है। यह न केवल बच्चों को स्कूल में दाखिले का अधिकार देता है, बल्कि यह स्कूलों को भी उनकी गुणवत्ता और समावेशिता के लिए जिम्मेदार बनाता है। आरटीई के तहत, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।

वर्तमान स्थिति और बदलाव

हालांकि आरटीई कानून के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं। कई राज्यों में, स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं की कमी, शिक्षकों की कमी और अनियमित शिक्षण पद्धतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना अब भी एक बड़ी चुनौती है।

सकारात्मक कदम और भविष्य

सरकार ने हाल ही में कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं, जैसे कि सरकारी स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 तक 98% से अधिक बच्चों को विद्यालय में दाखिला मिल चुका है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके अतिरिक्त, COVID-19 महामारी के बाद, ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास भी चलाए जा रहे हैं।

निष्कर्ष

आरटीई कानून भारत में शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन से सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान करने की दिशा में काम करना आवश्यक है।

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