বৃহস্পতিবার, জুন 26

प्रसिद्ध कृष्णा: भारतीय संस्कृति के अभिन्न हिस्से

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प्रस्तावना

प्रसिद्ध कृष्णा एक महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक चरित्र हैं, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का अभिन्न हिस्सा हैं। उनका जीवन कथा न केवल धार्मिक मान्यताओं में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय कला, साहित्य और संगीत में भी गहराई से विख्यात है।

कृष्णा का ऐतिहासिक महत्व

महाभारत में कृष्णा की भूमिका उनकी सच्चाई, न्याय और राजनीति के अनूठे दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है। उन्हें ‘भगवान’ के रूप में पूजा जाता है और उनकी लीलाओं की कहानियाँ न केवल धार्मिक ग्रंथों में, बल्कि लोककथाओं में भी मिलती हैं। विशेष रूप से, श्री कृष्णा का भाग्यशाली जीवन, उनके बचपन की चोरियों और प्रेम की कथाएँ, और कुरुक्षेत्र की लड़ाई के दौरान अर्जुन को मार्गदर्शन देने वाले रूप को लोग सदियों से सुनते आ रहे हैं।

कृष्णा के अद्वितीय गुण

कृष्णा को ‘मुरलीधर’, ‘गोपाल’ और ‘हरि’ जैसे नामों से भी जाना जाता है। उनकी कृत्रिमता, चेष्टाएँ और हर कोई के प्रति उनके स्नेह के संबंध में अनगिनत मिठास भरी कहानियाँ हैं। वे प्रकट होते हैं जब भी धरती पर अधर्म बढ़ता है और धर्म की रक्षा के लिए आते हैं। उनके कई उपदेश और संवाद, जैसे गीता, आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

संस्कृति और कला में कृष्णा की छवि

कृष्णा की छवि भारतीय कला में अनगिनत रूपों में प्रकट होती है, जैसे पेंटिंग्स, डांस, और नृत्य नाटकों में। राधा-कृष्णा की प्रेम कहानी भारतीय रंगमंच और समकालीन कला का अभिन्न हिस्सा रही है। गोवर्धन पूजा और जन्माष्टमी जैसे त्यौहारों में उनकी छवि को श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

निष्कर्ष

प्रसिद्ध कृष्णा केवल एक धार्मिक रूप नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आइकॉन हैं, जिनकी उपस्थिति ने भारतीय समाज को अनेकानेक तरीकों से प्रभावित किया है। भविष्य में भी, उनका संदेश ‘धरम की हिफाज़त’ और ‘सत्य की विजय’ सदियों तक लोगों को प्रेरित करता रहेगा। उनकी कहानियाँ आज भी युवाओं में प्रतिध्वनित होती हैं और उनके अद्वितीय गुण मानवता को एकजुट करने का काम करते हैं।

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