সোমবার, জুন 23

किसान: खेती के नायक और उनकी चुनौतियाँ

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किसान: भारत की कृषि का मूल आधार

भारत, जिसे कृषि प्रधान देश माना जाता है, की अर्थव्यवस्था में किसानों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। लगभग 58% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और यह सेक्टर देश की जीडीपी में लगभग 15% का योगदान करता है। हाल के वर्षों में किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए कई योजनाएँ और नीतियाँ लागू की गई हैं, जिनका उद्देश्य उनकी आय में वृद्धि करना और उन्हें बेहतर संसाधन उपलब्ध कराना है।

हाल के घटनाक्रम

2023 में, भारतीय सरकार ने “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” के तहत 15 लाख किसान साख समितियों का गठन किया है। यह समितियाँ किसानों को तकनीकी सहायता और बाजार में उत्पाद बेचने के लिए मदद करती हैं। इसके अतिरिक्त, “किसान क्रेडिट कार्ड” स्कीम को और अधिक किसान लाभ उठा रहे हैं, जिससे उन्हें ऋण प्राप्त करना आसान हो गया है।

किसानों की उपज के सही मूल्य दिलाने के लिए “एमएसपी” (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की प्रणाली को भी व्यापक रूप से लागू किया जा रहा है। इससे किसानों को अपनी उपज के लिए उचित कीमतें मिल रही हैं और उन्हें आर्थिक स्थिरता प्राप्त हो रही है।

चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि, किसान अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मौसम की अनिश्चितता, भूमि की सीमित उपलब्धता, और बाजार में परिवर्तनशीलता जैसी समस्याएँ उनके लिए गंभीर हैं। सरकार इस दिशा में अनेक कार्य कर रही है जैसे कि मौसम पूर्वानुमान सेवा का विस्तार करना और फसल बीमा योजनाओं की सक्रियता बढ़ाना।

अंतिम विचार

किसान केवल भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि वे हमारी संस्कृति और पारंपरिक जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा भी हैं। ऐसे में, किसानों की बेहतरी के लिए उठाए गए कदम न केवल उनके जीवनस्तर को सुधारेंगे, बल्कि सम्पूर्ण देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएंगे। आने वाले समय में, यदि इन नीतियों को सही तरीके से लागू किया जाता रहा, तो उम्मीद की जा सकती है कि किसान इस देश के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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