রবিবার, জুন 22

कुबेर: भारतीय पौराणिक कथा के धन के देवता

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कुबेर का परिचय

कुबेर भारतीय पौराणिक कथाओं में समृद्धि और धन के देवता माने जाते हैं। उन्हें ‘धन के राजा’ के रूप में भी जाना जाता है। देवी लक्ष्मी के साथ उनका गहरा संबंध है, और हर साल दिवाली पर उनकी पूजा की जाती है। कुबेर का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर भी है।

कुबेर का इतिहास और पौराणिक महत्व

कुबेर का वर्णन कई पुराणों में किया गया है, जहां उन्हें हिमालय के राजा, ‘कुबेर’ कहा गया है। मान्यता है कि उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त है, और उनका धन का खजाना उनके स्वर्ण महल में स्थित है। कुबेर का चित्रण हमेशा एक सुवर्ण से भरा बर्तन पकड़े हुए और आभूषणों में लिपटे हुए किया जाता है।

कुबेर का वर्तमान संदर्भ

आज के दौर में, कुबेर का संदर्भ वित्त और समृद्धि से जोड़ा जाता है, विशेष रूप से व्यापारियों और निवेशकों के बीच। आजकल, व्यापारिक सफलताओं और धन के लिए लोग कुबेर की पूजा करते हैं। कुबेर की उपासना व्रत, यज्ञ और धार्मिक समारोहों के दौरान कई धार्मिक स्थलों पर होती है।

कुबेर की पूजा के महत्व

कुबेर की पूजा करते समय विशेष ध्यान दिया जाता है कि श्रद्धा पूर्वक उनकी अराधना करें। प्रतिवर्ष, धनतेरस पर लोग उनकी पूजा करते हैं, ताकि वे अपने व्यवसाय में धन और समृद्धि प्राप्त कर सकें। सर्वेक्षणों के अनुसार, इस दिन सोने-चांदी की खरीदारी की जाती है, जो कुबेर को प्रसन्न करने का एक तरीका माना जाता है।

निष्कर्ष

कुबेर केवल धन के देवता नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण तत्व हैं जो समृद्धि और भाग्य का प्रतीक हैं। उनकी पूजा आज की आर्थिक परिस्थितियों में भी बहुत प्रासंगिक है। इस प्रकार, कुबेर की मान्यता वर्सोवर दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जो दर्शाती है कि वे आज भी लोगों के लिए प्रेरणा और धन के स्रोत हैं।

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