नर्सिंह जयंती: भगवान विष्णु के अवतार का पर्व

नर्सिंह जयंती का परिचय
नर्सिंह जयंती हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चौदहवीं तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के नर्सिंह अवतार के समर्पित होता है, जिन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप के खिलाफ प्रकट हुए थे। यह पर्व विशेष रूप से भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल भगवान की महिमा का स्मरण कराता है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।
नर्सिंह अवतार की महत्ता
नर्सिंह भगवान ने अपनी अद्भुत लीला के माध्यम से भक्त प्रह्लाद को सुरक्षा प्रदान की और हिरण्यकश्यप का वध किया। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे और दृढ़ विश्वास के साथ हर मुश्किल परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। नर्सिंह जयंती के अवसर पर भक्तजन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान का दर्शन करते हैं।
उत्सव और परंपराएँ
इस दिन भक्त सामान्यतः व्रत रखते हैं और विशेष पूजा का आयोजन करते हैं। कई स्थानों पर सामूहिक रूप से क Melayu , भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं। इस अवसर पर नर्सिंह भगवान की मूर्तियों की पूजा और उनका अभिषेक किया जाता है। अनेक स्थानों पर भव्य रैलियाँ और शोभायात्राएँ भी निकाली जाती हैं।
निष्कर्ष
नर्सिंह जयंती केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भक्ति, विश्वास और सच्चाई का एक प्रतीक भी है। यह दिन दर्शाता है कि जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब भगवान का अवतार होता है। भक्तों के लिए यह पर्व एक नई उम्मीद और शक्ति का संचार करता है। ऐसे पर्वों के माध्यम से समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है। आने वाले समय में, इस पर्व का महत्व और भी बढ़ेगा, क्योंकि यह न केवल धार्मिक अपितु सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।