सीबी के माध्यम से भारतीय शिक्षा की नई दिशा

परिचय
सीबी (CB) यानी ‘Continuous Assessment and Betterment’ भारतीय शिक्षा तंत्र में एक महत्वपूर्ण अंश बन चुका है। यह प्रणाली छात्रों की समग्र विकास और जारी मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करती है। आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में छात्रों के लिए यह अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है कि वे न सिर्फ परिणामों के आधार पर मूल्यांकन न हो, बल्कि उनकी विकास यात्रा को भी महत्व दिया जाए।
सीबी प्रणाली की विशेषताएँ
सीबी प्रणाली में विद्यार्थियों को नियमित आधार पर मूल्यांकित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है छात्रों की व्यक्तिगत क्षमताओं और कौशलों को पहचानना और उन्हें विकसित करना। इसके तहत निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ शामिल हैं:
- नियमित मूल्यांकन: छात्रों को लगातार मूल्यांकित किया जाता है, जिससे उनकी प्रगति की नियमित रूप से निगरानी की जा सकती है।
- समग्र विकास: यह प्रणाली केवल शैक्षणिक ज्ञान पर ध्यान केंद्रित नहीं करती, बल्कि छात्रों के औसतिक, समाजिक और नैतिक विकास को भी महत्व देती है।
- फीडबैक तंत्र: शिक्षकों का निरंतर फीडबैक छात्रों को अपनी कमजोरियों को पहचानने और सुधारने में मदद करता है।
हाल की घटनाएँ
भारत में विभिन्न शिक्षा बोर्डों ने सीबी प्रणाली को अपनाना शुरू किया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने इस प्रणाली को अपने स्कूलों में लागू किया है, जिससे छात्रों और शिक्षकों के बीच संवाद को बढ़ावा मिला है। पिछले साल, सीबीएसई ने इस प्रणाली के तहत कई स्कूलों में छात्र-शिक्षक संवाद सत्र आयोजित किए थे, जिसमें छात्रों की प्राथमिकताओं और जरूरतों को समझने का प्रयास किया गया था।
निष्कर्ष
सीबी प्रणाली का उद्देश्यमात्र छात्रों के परिणामों पर ध्यान नहीं देना, बल्कि उन्हें एक समग्र, सर्वांगीण विकास के लिए तैयार करना है। भविष्य में, इसकी आवश्यकता और इसकी उपयोगिता और भी बढ़ेगी। यदि यह प्रणाली सही तरीके से लागू की जाए, तो इससे न केवल छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि छात्र मानसिक रूप से भी मजबूत होंगे। ऐसे में, सीबी एक अपने आप में एक नया आयाम बन सकता है, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली की दिशा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।