সোমবার, মার্চ 17

यमन: संघर्ष और मानवीय संकट का सामना कर रहा देश

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यमन का महत्त्व और मौजूदा स्थिति

यमन, एक मध्य पूर्वी देश, पिछले एक दशक से भी अधिक समय से एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। यह संकट केवल द्वंद्वात्मक संघर्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें एक विशाल मानवीय संकट भी शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और मानवाधिकार समूहों ने यमन को दुनिया के सबसे गंभीर मानवीय संकटों में से एक बताया है।

संघर्ष का इतिहास

यमन में 2014 में शुरू हुआ संघर्ष तब बढ़ा जब हूती विद्रोहियों ने देश की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया। यह विद्रोही समूह, जो ईरान का समर्थक माना जाता है, के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन, जिसकी अगुवाई सऊदी अरब कर रहा है, ने युद्ध की स्थिति उत्पन्न की। इस युद्ध में 250,000 से अधिक लोगों की जान चली गई है और देश की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएं और बुनियादी ढांचे पर गंभीर असर पड़ा है।

मानवीय संकट

युद्ध के परिणामस्वरूप, यमन में लगभग 24 मिलियन लोग, यानी देश की कुल जनसंख्या का 80%, मानवीय सहायता के लिए निर्भर हो गए हैं। खाद्य संकट, चिकित्सा सुविधाओं की कमी और जल संकट ने लोगों के जीवन को कठिन बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यमन में बच्चे विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं, जिसमें 2.2 मिलियन बच्चे गंभीर कुपोषण का सामना कर रहे हैं।

समुदाय की सहायता

विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियाँ, जैसे कि यूएन द्वारा संचालित कार्यक्रम, निगरानी कर रही हैं और यमन में राहत कार्य के लिए संसाधन जुटा रही हैं। हालाँकि, सहायता वितरण में लगातार चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिसमें सुरक्षा स्थिति और बुनियादी ढाँचे का नुकसान शामिल है। यमन की आर्थिक स्थिति भी सहायता प्राप्त करने में एक बाधा बन गई है।

निष्कर्ष

यमन की स्थिति केवल एक क्षेत्रीय संकट नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रही है। इससे न केवल मानवीय मदद की आवश्यकता बढ़ी है, बल्कि विश्व समुदाय के लिए यह एक चुनौती भी है। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो यमन की सामान्यता की बहाली संभावित रूप से और भी दूर हो जाएगी। आने वाले वर्षों में, उम्मीद की जा रही है कि वैश्विक राजनयिक प्रयास इस संघर्ष के समाधान की दिशा में काम करेंगे, जिससे लाखों यमनी नागरिकों के लिए राहत मिल सके।

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