সোমবার, ফেব্রুয়ারি 24

गैर-संक्रामक रोग: एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य चुनौती

0
2

गैर-संक्रामक रोग (NCD) का महत्व

गैर-संक्रामक रोग (NCD) जैसे कि हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और श्वसन रोग, विश्वभर में बीमारी और मृत्यु के प्रमुख कारण बन गए हैं। भारत में, हाल के वर्षों में NCD की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली पर बड़ा दबाव पड़ रहा है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि ये रोग न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था पर भी दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं।

हाल की स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, NCD की वजह से हर साल लगभग 41 मिलियन लोग मरते हैं, जिनमें से 15 मिलियन लोग 30-69 वर्ष की आयु के होते हैं। भारत में, 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, NCD से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि के कारण देश का स्वास्थ्य सेवा ढांचा संकट में है। अब तक के सबसे हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 62% वयस्क NCD के खतरे में हैं।

संभावित कारण

NCD की वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, जिनमें अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, खराब आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी, तनाव और धूम्रपान शामिल हैं। इसके अलावा, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का तेजी से बढ़ना भी इससे जुड़ा हुआ है। महामारी के दौरान, कई लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं, जो NCD के विकास में योगदान कर रहा है।

रोकथाम और उपाय

NCD की रोकथाम के लिए जागरूकता और शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य शिक्षकों, चिकित्सकों और सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके। नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ आहार, और नियमित व्यायाम को बढ़ावा देने से NCD के प्रभाव को कम किया जा सकता है। भारत सरकार ने NCD रोकथाम के लिए कई राष्ट्रीय योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना है।

निष्कर्ष

गैर-संक्रामक रोग (NCD) अब एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। इसके प्रभावों को कम करने के लिए समाज को एकजुट होकर काम करना होगा। जीवनशैली में परिवर्तन, जागरूकता और प्रारंभिक निदान इसके समाधान के दरवाजे खोल सकते हैं। यदि हम आज कार्रवाई करें, तो भविष्य में इस समस्या का समाधान संभव हो सकता है, साथ ही एक स्वस्थ राष्ट्र की दिशा में भी यह कदम बढ़ाया जा सकता है।

Comments are closed.