मकर संक्रांति 2026: एक सांस्कृतिक पर्व

मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर वर्ष जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को दर्शाता है और इस दिन से दिन और रात का संतुलन बदलता है, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। मकर संक्रांति का एक विशेष धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है और यह पूरे देश में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। 2026 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ेगा।
त्योहार की परंपराएँ
मकर संक्रांति पर लोग नई फसल की कटाई का जश्न मनाते हैं और इसे नए आरंभ के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन लोग गंगा स्नान करने, तिल से बने मेवों और लड्डुओं का भोग लगाने का कर्तव्य निभाते हैं। इसके अलावा, कई जगहों पर पतंगबाज़ी का विशेष आयोजन होता है। गुजरात में यह उत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जहाँ लोग रंग-बिरंगी पतंगों के साथ दिन बिताते हैं।
मकर संक्रांति के अन्य रूप
भारत के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति का नाम और मनाने का तरीका भिन्न है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में इसे संक्रांति कहा जाता है, जबकि कर्नाटका में इसे ‘उगादि’ के रूप में मनाते हैं। उत्तर भारत में, इसे ‘लोहड़ी’ के रूप में भी मनाया जाता है।
उपसंहार
मकर संक्रांति 2026 का पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाता है। यह हमें एकता, परंपरा और खेती की महत्ता का एहसास कराता है। मकर संक्रांति के आसपास आयोजित होने वाले कार्यक्रम न केवल सांस्कृतिक बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देते हैं। आने वाले वर्ष में, हमें इस पर्व को मनाने का अवसर मिलेगा और हम सभी इसे मिलकर उत्साह के साथ मनाएंगे।









