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नरेगा योजना: ग्रामीण रोजगार में क्रांति

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नरेगा का परिचय

महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी रोजगार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू की गई है। यह योजना ग्रामीण परिवारों को साल में 100 दिनों के निश्चित रोजगार की गारंटी देती है, जिससे उन्हें आर्थिक मदद मिलती है और गरीबी से लड़ने में सहारा मिलता है।

हाल के विकास

हाल ही में, नरेगा के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में कार्यों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है। 2022-23 में, सरकार ने इस योजना का बजट बढ़ाकर 73,000 करोड़ रुपये किया, जो पिछले साल के मुकाबले 33% अधिक है। इस वर्ष, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र ने अपनी नरेगा स्कीम के तहत अधिक संख्या में हितग्राही जोड़े। साथ ही, प्रवासी श्रमिकों के लिए यह योजना एक आश्रय बनी हुई है, खासकर कोविड-19 के बाद।

महत्व और चुनौती

नरेगा सिर्फ रोजगार की गारंटी नहीं देता, बल्कि यह ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी मदद करता है। जल संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता, सड़कों का निर्माण, और अन्य महत्वपूर्ण कार्य इस योजना के अंतर्गत आते हैं। लेकिन इसके साथ ही कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे कि वित्तीय प्रबंधन, कार्यों की गुणवत्ता और समय पर भुगतान का मुद्दा।

निष्कर्ष

नरेगा भारत में ग्रामीण विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। इसके सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए, यह अपेक्षित है कि सरकार इसे आगे बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास करेगी। नरेगा के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और विकास की संभावनाएं खुलती हैं, जो आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक मजबूती की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

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