সোমবার, সেপ্টেম্বর 29

स्कंदमाता की आरती: हिन्दू संस्कृति का अनमोल भजन

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स्कंदमाता की आरती का महत्व

मां स्कंदमाता, जिन्हें हिन्दू धर्म में अत्यधिक श्रद्धा के साथ पूजा जाता है, देवी दुर्गा के पांचवे रूप में मानी जाती हैं। स्कंदमाता की आरती का महत्व धार्मिक ग्रंथों और भक्ति की परंपराओं में अत्यधिक है। यह आरती न केवल भक्तों की भक्ति को और गहरा करती है, बल्कि उन्हें मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करती है।

आरती का सामूहिक गायन

स्कंदमाता की आरती का गायन विशेष अवसरों पर, जैसे नवरात्रि उत्सव के दौरान, पूरे देश में बड़े धूमधाम से किया जाता है। भक्त इस अवसर पर इकट्ठा होकर आरती का सामूहिक गायन करते हैं, जिससे वातावरण में भक्ति और श्रद्धा का संचार होता है। आरती का यह विशेष स्वरूप न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।

स्कंदमाता की आरती के बोल

स्कंदमाता की आरती में भक्तिपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया गया है, जो मां की महिमा का गुणगान करते हैं। इसे गाने से पहले भक्त मां के चित्र के सामने दीप जलाते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। इसके बाद वे ‘जय माता दी’ का उद्घोष करते हैं। इस आरती में माता की शक्तियों, करुणा और आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।

भक्तों की मान्यता

ऐसी मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मां स्कंदमाता की आरती का गायन करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। भक्तों का विश्वास है कि मां उनके सारे दुखों को दूर करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। इसी कारण मां स्कंदमाता की आरती का पाठ और गायन निरंतर किया जाता है।

निष्कर्ष

अंत में, स्कंदमाता की आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और आशा का संचार करती है। यह हमारे लिए एक प्रेरणा का स्रोत है कि हम दृढ़ता और आस्था के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें। इस प्रकार, मां स्कंदमाता की आरती का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है और यह हमें अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करती है।

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