বৃহস্পতিবার, সেপ্টেম্বর 11

नेपाल में राजनीतिक संकट: जन आंदोलन से प्रधानमंत्री का इस्तीफा, देश में अस्थिरता का माहौल

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नेपाल में व्यापक जन आंदोलन और राजनीतिक उथल-पुथल

नेपाल की राजधानी काठमांडू में मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कर्फ्यू की अवहेलना करते हुए सड़कों पर कब्जा कर लिया और सुप्रीम कोर्ट, संसद एवं अन्य सरकारी भवनों में आग लगा दी। सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में हुई हिंसक झड़पों में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।

आंदोलन के पीछे के कारण

विरोध प्रदर्शन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध को लेकर नहीं है, बल्कि यह युवा पीढ़ी की खराब आर्थिक अवसरों से उपजी निराशा को भी प्रतिबिंबित करता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि भ्रष्टाचार और कुशासन का लंबा इतिहास इस विरोध का मुख्य कारण है।

आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां

विश्व बैंक के अनुसार, नेपाल में 15-24 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 2024 में 20.8% थी।

नेपाल का भविष्य राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक कमजोरियों और भारत, चीन तथा अमेरिका के साथ बदलते गठजोड़ से चिह्नित है। हिमालय पर्वत में स्थित नेपाल भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है और दाता देशों की सद्भावना पर अत्यधिक निर्भर है। बिजली निर्यात, विदेशी मुद्रा अधिशेष और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रवाह जैसे अर्थव्यवस्था के कई तत्व भारत, चीन और अमेरिका के साथ अच्छे संबंधों के रखरखाव पर निर्भर करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संबंध और भविष्य की दिशा

भारत-नेपाल संबंधों का कोई विकल्प नहीं है। यह रिश्ता रोटी-बेटी के क्लिशे (सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध) से परे है, और इन संबंधों को किसी एक ढांचे में फिट नहीं किया जा सकता।

यह घरेलू राजनीतिक संघर्ष आर्थिक प्रगति को बाधित करता रहेगा, जबकि अमेरिका से सहायता में कमी काठमांडू को अपने पड़ोसियों के करीब ला सकती है।

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