दिल्ली दंगा मामला: उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज, चार साल से जेल में बंद हैं आरोपी

प्रमुख घटनाक्रम
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व JNU छात्र नेता उमर खालिद और शरजील इमाम सहित अन्य 7 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।
मामले की पृष्ठभूमि
आरोपी चार साल से अधिक समय से यूएपीए के तहत जेल में बंद हैं, जबकि मुकदमा अभी शुरू भी नहीं हुआ है। फरवरी 2020 के सांप्रदायिक दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।
दिल्ली पुलिस ने खालिद को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान कथित ‘भड़काऊ भाषण’ देने के आरोप में यूएपीए के तहत बुक किया था। दिल्ली पुलिस ने उनके भाषणों को 2020 के दिल्ली दंगों को भड़काने और सुगम बनाने वाला माना।
वर्तमान स्थिति
इस दौरान मुकदमे की कार्यवाही बमुश्किल आगे बढ़ी है। अभियोजन पक्ष ने हजारों पन्नों के सबूत और दर्जनों गवाहों का हवाला दिया है। यहां तक कि आरोप तय करने में भी महीनों लग गए। इसका मतलब है कि आरोपियों को अदालत में अपना बचाव करने का मौका मिले बिना ही वर्षों की कैद झेलनी पड़ रही है।
हालिया सुनवाई में, खालिद ने तर्क दिया कि अन्य आरोपियों के साथ व्हाट्सएप ग्रुप में होना अपराधिक गतिविधि नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक सबूत या धन नहीं मिला। वहीं इमाम ने दावा किया कि उनका खालिद या अन्य सह-आरोपियों से कोई संबंध नहीं था, और उनके भाषणों और चैट से हिंसा नहीं भड़की।
आगे की राह
कार्यकर्ताओं के वकील ने इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की योजना की घोषणा की है।