মঙ্গলবার, এপ্রিল 15

14 अप्रैल अंबेडकर जयंती: सामाजिक न्याय का प्रतीक

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अंबेडकर जयंती का महत्व

14 अप्रैल को भारत में भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है, जो सामाजिक न्याय के एक प्रबल समर्थक थे। डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में भी जाना जाता है, का जीवन और कार्य भारतीय समाज में समानता और सामाजिक अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उनके विचार और दृष्टिकोण ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है और उनकी जयंती का दिन हर साल एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

उत्सव और आयोजनों की तैयारी

इस वर्ष, अंबेडकर जयंती के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। शिक्षण संस्थानों, सामाजिक संगठनों और सरकारी अधिकारियों द्वारा संगोष्ठियों, गोष्ठियों और विकलांगता की योजनाओं की चर्चा सहित कई आयोजन किए जाएंगे। इस दिन विशेष रूप से अंबेडकर की मूर्तियों को पुष्प अर्पित किया जाएगा और उनके विचारों को फैलाने की दिशा में काम किया जाएगा।

डॉ. अंबेडकर की विरासत

डॉ. अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज के लिए अमूल्य रहा है। उन्होंने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। आदिवासी समुदायों, महिलाओं और अन्य दबे-कुचले वर्गों के लिए उनके प्रयास बेहद महत्वपूर्ण हैं। उनके द्वारा स्थापित संविधान में सामजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को शामिल किया गया है, जो आज भी हमारे समाज को दिशा प्रदान कर रहे हैं।

निष्कर्ष

14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती का उत्सव केवल उनके जन्मदिन के रूप में ही नहीं, बल्कि एक विचारधारा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हम सभी को सोचने पर मजबूर करता है कि हमें समाज में समानता, भेदभाव के खिलाफ संघर्ष और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए क्या करना चाहिए। इस दिन, हमें अपने नेता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए एक बेहतर समाज बनाने की प्रतिबद्धता लेनी चाहिए।

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