हिमयुग का क्वथनांक: वैज्ञानिकों ने खोजा प्राचीन जलवायु का रहस्य

परिचय
वैज्ञानिकों ने अंतिम हिमयुग के चरम बिंदु, जिसे लास्ट ग्लेशियल मैक्सिमम (एलजीएम) कहा जाता है, के तापमान का पता लगाया है। यह लगभग 20,000 वर्ष पूर्व का समय था जब उत्तरी अमेरिका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के बड़े हिस्से बर्फ से ढके थे।
महत्वपूर्ण खोज
शोध से पता चला है कि हिमयुग के दौरान पृथ्वी का औसत तापमान वर्तमान से 6 डिग्री सेल्सियस कम था। उस समय वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा आज की तुलना में आधी से भी कम, लगभग 190 पार्ट्स पर मिलियन थी।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
प्राचीन जलवायु के साक्ष्य से पता चलता है कि वर्तमान में तापमान वृद्धि हिमयुग के बाद की औसत दर से लगभग 10 गुना तेज हो रही है। मानवीय गतिविधियों से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन अंतिम हिमयुग के बाद प्राकृतिक स्रोतों से होने वाली वृद्धि की तुलना में 250 गुना तेज है।
भविष्य के लिए निहितार्थ
नए अध्ययन से पता चलता है कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा दोगुनी होने पर वैश्विक तापमान में लगभग 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी। यह अनुमान पहले के सबसे खराब परिदृश्य से 1 डिग्री सेल्सियस कम है।
वर्तमान तापमान वृद्धि पिछले कई सहस्राब्दियों में अभूतपूर्व है और स्पष्ट रूप से 1800 के मध्य से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है। इस अतिरिक्त ऊर्जा ने वायुमंडल, महासागर और भूमि को गर्म किया है, जिससे पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में व्यापक और तीव्र परिवर्तन हो रहे हैं।