বৃহস্পতিবার, আগস্ট 7

सेबी: भारतीय शेयर बाजार का प्रहरी

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सेबी का परिचय

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारतीय वित्तीय बाजार का मुख्य नियामक है। इसकी स्थापना 1988 में की गई थी, और इसे 1992 में एक वैधानिक संस्था का दर्जा दिया गया। सेबी का उद्देश्य बाजार की पारदर्शिता को बढ़ाना, निवेशकों के हितों की रक्षा करना और शेयर बाजार में अनुशासन बनाए रखना है।

सेबी के प्रमुख कार्य

सेबी कई महत्वपूर्ण कार्य करती है:

  • नियमन और निगरानी: सेबी शेयर बाजार में सभी गतिविधियों की लगातार निगरानी करती है, जिससे अवैध गतिविधियों और धोखाधड़ी को रोका जा सके।
  • निवेशक शिक्षा: सेबी निवेशकों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न पहल करती है, जैसे कार्यशालाएँ और ऑनलाइन कार्यक्रम।
  • वित्तीय स्थिरता: सेबी वित्तीय बाजार के स्थायित्व को सुनिश्चित करता है जिससे बाजार में विश्वसनीयता बनी रहे।
  • नियामक ढांचा: सेबी ने विभिन्न विनियमों का निर्माण किया है, जो बाजार की पारदर्शिता और समुचित कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करते हैं।

हाल की घटनाएँ

हाल ही में, सेबी ने चित भेजने वाले कंपनियों पर कड़ी निगरानी बढ़ाई है, विशेषकर उन पर जिनका विवरण अधूरा या गलत था। सेबी ने वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि पिछले वर्ष में निवेशकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जनवरी 2023 तक, भारत में कागजी सिक्योरिटीज की खरीद को लेकर 1.5 करोड़ नए डीमैट खाते खोले गए हैं। इस वृद्धि से सेबी को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी नए निवेशक सुरक्षित और पारदर्शी रूप से निवेश करें।

निष्कर्ष

सेबी का काम न केवल बाजार की मौजूदा स्थिति को संतुलित करना है, बल्कि यह भविष्य के लिए निवेशकों को सुरक्षित और समझदारी भरे निर्णय लेने में भी सहायता करता है। बाजार की स्थिरता और निवेशकों के विश्वास का आधार सेबी है। आने वाले समय में, सेबी द्वारा उठाए गए कदम भारतीय शेयर बाजार को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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