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सितारे ज़मीन पर: सिनेमा का शिक्षाप्रद संदेश

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फिल्म का परिचय

2007 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। फिल्म का मुख्य विषय है बच्चों की शिक्षा और उनके मानसिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना। इसका निर्देशन आमिर खान ने किया था, जिन्होंने न केवल फिल्म के निर्माता के तौर पर बल्कि एक अद्भुत कहानीकार के रूप में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

कहानी का सारांश

फिल्म की कहानी इशान अवस्थी नामक एक dyslexia से पीड़ित बच्चे के इर्द-गिर्द घूमती है। उसे स्कूल में पढ़ाई में समस्या होती है, जिसके कारण उसका आत्मविश्वास गिरता है। उसके अभिभावक और शिक्षक उसकी असफलता को कमजोरी समझते हैं। लेकिन जब एक नए कला शिक्षक, रघु राजा (आमिर खान) की एंट्री होती है, तो वह बच्चे की कला और छिपी प्रतिभा को पहचानता है।

शिक्षा प्रणाली की आलोचना

‘सितारे ज़मीन पर’ ने भारतीय शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे एक मात्र ग्रेड और परीक्षा परिणाम बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं। यह पेश करती है कि बच्चों को उनकी रचनात्मकता और व्यक्तिगत गुणों के लिए प्रोत्साहित करना कितना महत्वपूर्ण है। फिल्म में दिखाए गए दृश्य यह स्पष्ट करते हैं कि बच्चों की मानसिकता और उनके विकास के लिए सहानुभूति और समझ की आवश्यकता है।

फिल्म का प्रभाव

फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई, बल्कि इसे आलोचकों द्वारा भी सराहा गया। इसके संदेश ने स्कूलों और अभिभावकों को बच्चों की समस्याओं को समझने और उन्हें संभालने की एक नई दृष्टि दी है। फिल्म के बाद कई विद्यालयों ने अपनी शिक्षण विधियों में बदलाव किए हैं और अधिक रचनात्मक एवं सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया है।

निष्कर्ष

सितारे ज़मीन पर एक प्रेरणादायक फिल्म है जो बच्चों के अधिकारों, उनकी रचनात्मकता, और व्यक्तिगत विकास की महत्वता को उजागर करती है। इसके जरिए दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर किया गया है कि शिक्षा का अर्थ केवल अंक प्राप्त करना नहीं, बल्कि एक बच्चे की संपूर्ण विकास की दिशा में कदम बढ़ाना है। आने वाले वर्षों में इस फिल्म का सामाजिक प्रभाव और भी बढ़ेगा, जिससे कि हमारी शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव आएं।

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