संकष्टी चतुर्थी: क्यों है यह त्योहार इतना खास?

संकष्टी चतुर्थी का परिचय
संकष्टी चतुर्थी, जिसे हर महीने की कृ्ष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है, भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन विशेष रूप से ध्यान, उपवास और पूजा के लिए माना जाता है। भारत भर में इस पर्व का आयोजन भव्यता से किया जाता है, विशेषकर महाराष्ट्र में, जहाँ यह एक बहुत बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
महत्त्व
आस्था के अनुसार, इस दिन व्रति करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। भगवान गणेश को बाधा निवारक माना जाता है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी पर उपवास करके उनकी पूजा करने से घर में सद्भावना और खुशियों का वातावरण बनता है।
उत्सव की तैयारी
संकष्टी चतुर्थी के उत्सव की तैयारी आमतौर पर एक दिन पहले शुरू होती है। भक्त एक दिन पहले से उपवास करते हैं और गणेश जी की प्रतिमा या चित्र को सजाने का काम करते हैं। पूजा की सामग्री में मोदक (गणेश जी का पसंदीदा नाश्ते) और अन्य मिठाइयाँ शामिल होती हैं।
इस दिन, शुभ समय में गणेश जी की पूजा इस प्रकार की जाती है कि सब कुछ विधिपूर्वक और सच्चे दिल से किया जाए। इसके साथ ही, भक्त विशेष मंत्रों का जाप करते हैं और bhog अर्पित करते हैं।
समापन
संकष्टी चतुर्थी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जब परिवार और दोस्तों के बीच संबंध और अधिक मजबूत होते हैं। आने वाले वर्षों में, यह पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा। इसलिए, इस दिन उपवास और पूजा करने का महत्व कभी न कम होगा। भक्तों को इस पर्व में अपने पुरानी मान्यताओं को संजीवनी के रूप में देखना चाहिए और नये सिरे से अपने जीवन के लिए नई ऊर्जा और प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए।