রবিবার, জুলাই 6

श्यामा प्रसाद मुखर्जी: एक मजबूत लीडर की कहानी

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परिचय

श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे, जिनका योगदान आज भी देश की राजनीति में महत्वपूर्ण माना जाता है। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक एवं देश के पहले उद्योग मंत्री रहे। उनके विचार और कार्य अब भी भारतीय समाज और राजनीति में गहराई से जुड़े हुए हैं। 23 अक्टूबर 1901 को जन्मे मुखर्जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका निभाई और अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन किए।

मुखर्जी का राजनीतिक सफर

मुखर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कृ🍃शी कांग्रेस से की, लेकिन शीघ्र ही उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य हिंदू समाज की आवाज़ को राजनीतिक मंच पर लाना था। उन्होंने ‘एक देश, एक विधान’ की मांग की, जो आज की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। उनका मानना था कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाना चाहिए।

महत्वपूर्ण योगदान

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सबसे बड़ा योगदान उनके विचारों और उनके द्वारा स्थापित जनसंघ के माध्यम से आया। वे सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए कटिबद्ध थे। केन्द्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने औद्योगिक विकास पर विशेष ध्यान दिया और कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। उनके विचारों ने बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप में अपने आकार में विकसित होने में मदद की।

निष्कर्ष

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का उद्यमशीलता और सामाजिक समरसता के प्रति दृष्टिकोण, आज भी प्रेरणास्त्रोत बना हुआ है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी समाज में सामाजिक और राजनीतिक सुधार के लिए दृढ़ संकल्प और विचारशीलता की आवश्यकता होती है। भारतीय राजनीति में उनकी विचारधारा का जीवंत प्रसंग वर्तमान में भी प्रासंगिक है। आगे बढ़ते हुए, उनके योगदान से आगामी पीढ़ियों को प्रेरित किया जाएगा, जिससे भारतीय समाज और राजनीति में उनके सिद्धांतों की धारा और भी प्रबल होगी।

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