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शरद पूर्णिमा कब है: महत्व और उत्सव

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शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा, जिसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहर पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है और इसे पूर्णिमा के रात को मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा का पर्व आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 2023 में 5 अक्टूबर को पड़ रहा है।

इस दिन का विशेष महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी विशेष रूप से भक्तों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे आयुर्वेदिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन का दूध और चंद्रमा की किरणों के साथ मिलाकर सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी, जो समृद्धि और धन की देवी हैं, अपने भक्तों पर कृपा करती हैं।

उत्सव की परंपराएँ

शरद पूर्णिमा पर खासतौर पर खीर बनाने की परंपरा है। भक्त रात में चाँद की रोशनी में खीर रखते हैं ताकि इसे चंद्रमा की किरणों से आशीर्वादित किया जा सके। इसके अलावा, इस दिन विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। लोग जागरूक हो कर रातभर जागते हैं और चंद्रमा की रोशनी का आनंद लेते हैं।

आगे की योजना

शरद पूर्णिमा का पर्व केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो हमें एकजुट करता है। इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न समुदायों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें नृत्य, संगीत और खाने-पीने का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही, समाज में एकता और भाईचारे का सन्देश फैलाने की कोशिश की जाती है।

निष्कर्ष

इस प्रकार, शरद पूर्णिमा का त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में प्रेम और एकता का प्रतीक भी है। इसकी मनाने की विधियां और परंपराएँ इसे विशेष बनाती हैं। 2023 में यह पर्व 5 अक्टूबर को आएगा, जो हमें अपने पारिवारिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत करने का एक और मौका देगा।

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