वित्त वर्ष 2025-26 में टीडीएस व्यवस्था में आए महत्वपूर्ण बदलाव: जानें नए नियम और दरें

परिचय
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित एक प्रक्रिया है, जिसके तहत आय के स्रोत पर ही कर की कटौती की जाती है। भुगतानकर्ता द्वारा प्राप्तकर्ता को भुगतान करते समय एक निश्चित प्रतिशत कर की कटौती की जाती है, जिसे सरकार के पास जमा किया जाता है।
नए बदलाव और महत्वपूर्ण नियम
केंद्रीय बजट 2025 ने भारतीय आयकर ढांचे में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं, जिनका उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना और करदाताओं को राहत प्रदान करना है। ये परिवर्तन 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी हैं और व्यक्तिगत करदाताओं, व्यवसायों और निवेशकों को प्रभावित करते हैं।
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) की सीमाओं में संशोधन किया गया है ताकि अनुपालन का बोझ कम हो सके। धारा 206AB और 206CCA, जो आयकर रिटर्न दाखिल न करने वालों के लिए उच्च TDS और TCS दरों को अनिवार्य करती थीं, को हटा दिया गया है। यह सरलीकरण कटौतीकर्ताओं और संग्रहकर्ताओं पर अनुपालन का बोझ कम करता है।
विशेष प्रावधान और लाभ
करदाता अब वेतन आय के विरुद्ध अन्य आय पर TDS और TCS क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। यह बदलाव वेतनभोगी व्यक्तियों को बेहतर नकदी प्रवाह प्रबंधन प्रदान करता है। 1 जनवरी 2025 से, माता-पिता या अभिभावक अपने बच्चों की ओर से किए गए भुगतानों के लिए टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) क्रेडिट का दावा कर सकते हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, TDS आपके कर बोझ को प्रबंधित करने और जुर्माने से बचने के लिए एक सहायक उपकरण हो सकता है। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अपने कर दायित्वों को समझें और अपना रिटर्न सटीक रूप से दाखिल करें।