विजयकांत: सिनेमा से राजनीति तक का सफर
विजयकांत का परिचय
विजयकांत, जिनका पूरा नाम ‘वीरथुला विजयकांत’ है, भारतीय सिनेमा के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। उन्होंने अपनी अदाकारी के बल पर दक्षिण भारतीय सिनेमा में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। इसके अलावा, वे एक सफल राजनीतिक करियर भी अपने नाम कर चुके हैं। यह लेख उनकी जिन्दगी और करियर के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेगा।
फिल्मी करियर
विजयकांत का कॅरियर 1979 में फिल्म ‘नीलम नीयथल’ से शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘इद्यारम पत्तु’, ‘कठिर’ और ‘बॉक्सिंग’ शामिल हैं। उनकी फिल्मों में अक्सर समाजिक मुद्दों को उठाया गया है, जिससे वे दर्शकों के बीच ज्यादा लोकप्रिय रहे। उनके संवाद और एक्शन सीन आज भी याद किए जाते हैं।
राजनीतिक यात्रा
विजयकांत का राजनीतिक करियर 2005 में तब शुरू हुआ जब उन्होंने ‘डाक्टर विजयकांत’ के नाम से अपनी पार्टी ‘डीएमडीके’ की स्थापना की। उनकी पार्टी ने तमिलनाडु की राजनीति में सफलतापूर्वक प्रवेश किया। 2006 के विधानसभा चुनावों में, उनकी पार्टी ने 8% मत प्राप्त किए और वह मुख्यधारा में आए। विजयकांत भारतीय राजनीति में एक नायक की तरह उभरे हैं।
महत्त्व और विरासत
विजयकांत का योगदान भारत की फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति में महत्वपूर्ण है। उन्होंने न केवल मनोरंजन क्षेत्र में ही बल्कि समाजिक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाई है। उनके अनुयायी उन्हें एक प्रेरणा के रूप में मानते हैं। उनकी देखरेख में, कई युवा कलाकारों ने भी अपने करियर की शुरुआत की।
निष्कर्ष
विजयकांत का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसमें उन्होंने सिनेमा और राजनीति में अद्वितीय पहचान बनाई है। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण रहेगा। उनकी कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो केवल फिल्मी पर्दे पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए भी खड़ा हुआ है। आने वाले समय में, विजयकांत का प्रभाव और योगदान और भी महत्वपूर्ण बनता जाएगा।