वट सावित्री पूजा 2025: महत्व, तिथि और परंपराएं

वट सावित्री पूजा का महत्व
वट सावित्री पूजा भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए मनाई जाती है। यह पूजा विशेष रूप से हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है, जहां महिलाएं वट (बरगद) के पेड़ के चारों ओर परिक्रमा करती हैं और सावित्री तथा सत्यवान की जोड़ी की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और प्रार्थना करती हैं कि उनके पति का जीवन सुरक्षित और स्वस्थ रहे।
वट सावित्री पूजा 2025 की तिथि
वट सावित्री पूजा हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पूजा 10 मई को आयोजित की जाएगी। इस दिन को लेकर महिलाओं में विशेष उत्साह और जिन्दगी की सुख-शांति के लिए विशिष्ट तैयारी की जाती है।
व्रत और परंपराएं
इस दिन, महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पवित्र वस्त्र पहनती हैं। अनेक महिलाएं अपने घरों में वट के पेड़ की पूजा करती हैं, कुछ स्थानों पर मंदिर भी जाकर पूजा अर्चना करती हैं। पूजा के दौरान, भक्त सतत व्रत रखती हैं और रातभर जागकर भगवान से प्रार्थना करती हैं। उनके अनुसार, इस दिन वट के पेड़ की छाँव में बैठकर पति-पत्नि की खुशियों का आशीर्वाद मिलता है।
वट सावित्री पूजा का सामाजिक महत्व
वट सावित्री पूजा केवल एक धार्मिक प्रथाओं का पालन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और संबंधों को मजबूत करने का भी एक तरीका है। इस दिन समान विचारधारा वाली महिलाएं एकत्रित होती हैं, एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करती हैं और आपस में भक्ति का आदान-प्रदान करती हैं। इस तरह से यह पूजा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक समर्पण का प्रतीक भी बनती है।
निष्कर्ष
वट सावित्री पूजा का महत्व केवल धार्मिक कर्मकांडों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 2025 में इस पूजा के अवसर पर महिलाएं अपने अनुष्ठानों के साथ-साथ सामाजिक सामंजस्य और खुशियों की खोज में भी संलग्न रहेंगी। इस आयोजन के माध्यम से न सिर्फ पति-पत्नियों का बंधन मजबूत होगा, बल्कि यह समाज में भी एकता का एक नया आयाम स्थापित करेगा।