রবিবার, ডিসেম্বর 14

वट सावित्री पूजा का समय और महत्व

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वट सावित्री पूजा का महत्व

वट सावित्री पूजा भारत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जो विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। यह त्यौहार हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। वट सावित्री का त्योहार वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करके मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है।

वट सावित्री पूजा का समय और संपूर्ण प्रक्रिया

इस वर्ष, वट सावित्री पूजा का तिथी 2023 में 5 जून को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और उसके चारों ओर चक्कर लगाती हैं। पूजा के समय, महिलाएं उपवास रखती हैं और दिनभर व्रत करती हैं। पूजा के दौरान वट वृक्ष की जड़ों में कच्चे दूध, फूल, और मिठाई चढ़ाई जाती है।

कैसे करें पूजा

वट सावित्री पूजा के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद पूजा के लिए एक विशेष स्थान तैयार करें और वहां देवी सावित्री और भगवान शिव की तस्वीरें रखें। फिर वट वृक्ष के नीचे जाकर, पेड़ को तिलक करें और उसके चारों ओर 108 बार चक्कर लगाएं। इसके बाद, पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। पूजा में खासकर आम, नारियल, और फल-फूलों का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

महिलाओं के लिए विशेष दिन

वट सावित्री पूजा को विशेष रूप से महिलाएं मनाती हैं, और इसे उनके लिए एक महत्वपूर्ण रस्म माना जाता है। इस दिन को लेकर महिलाओं में उत्साह भी रहता है क्योंकि यह अपने पति के लिए प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस अवसर पर महिलाएं पारम्परिक परिधान पहनती हैं और परिवार के साथ मिलकर पूजा संपन्न करती हैं।

निष्कर्ष

वट सावित्री पूजा न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह प्यार और समर्पण का भी प्रतीक है। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए अपने परिवार और पति के स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना करने का एक अद्वितीय अवसर है। इस त्योहार को मनाने से न केवल पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर को भी प्रतिबिंबित करता है।

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