শনিবার, আগস্ট 16

वंदे मातरम: भारत का राष्ट्रीय गीत और इसकी पृष्ठभूमि

0
1

वंदे मातरम् का महत्व

वंदे मातरम्, भारत का राष्ट्रीय गीत, न केवल भारतीय संस्कृति और अस्मिता का प्रतीक है बल्कि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण अंग भी रहा है। रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित इस गीत ने लाखों लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

“वंदे मातरम” के बोल सबसे पहले 1882 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की कविता में लिखे गए थे। इस गीत को रवींद्रनाथ ठाकुर ने संगीतबद्ध किया था और यह गीत भारतीय राष्ट्रीयता का प्रतीक बन गया। यह गीत विशेष रूप से “आनंदमठ” उपन्यास में रचित है, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक संघर्ष की कहानी प्रस्तुत करता है। 1905 में जब बंगाल का विभाजन हुआ, तब इस गीत ने राष्ट्रवादी भावना को और भी बलशाली बनाया।

समकालीन संदर्भ

आज के समय में यह गीत स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी समारोहों में गाया जाता है। इसे भारत की एकता, अखंडता और संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। हाल ही में, भारत की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने इसे अपने-अपने ढंग से अपनाया है, जिससे इसकी लोकप्रियता और भी बढ़ी है। इसके साथ ही, युवा पीढ़ी भी इस गीत के प्रति अधिक जागरूक हो रही है।

उपसंहार

वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं है, बल्कि यह एक भावना है जो हर भारतीय के दिल में बसी हुई है। यह हमारी संस्कृति, हमारे संघर्ष और हमारी एकता का प्रतीक है। आने वाले वर्षों में, यह उम्मीद की जा रही है कि युवा वर्ग इसे और भी समझेगा और अपने देश की अस्मिता को बनाए रखने में मदद करेगा।

Comments are closed.