लक्ष्मी जी की आरती: महत्व और विधि

लक्ष्मी जी की आरती का महत्व
लक्ष्मी जी, जिन्हें धन, समृद्धि और भाग्य की देवी माना जाता है, का पूजन भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है। विशेष रूप से, दिवाली के समय उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन किया जाता है। लक्ष्मी जी की आरती, जो उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है, भक्तों के बीच एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रम है। इससे धन और समृद्धि की प्राप्ति की कामना की जाती है।
आरती का समय और विधि
लक्ष्मी जी की आरती अक्सर नवरात्रि, दिवाली और अन्य धार्मिक अवसरों पर की जाती है। भक्तगण अपने घरों में लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाते हैं और उन्हें फूल, फल, और मिठाई अर्पित करते हैं। आरती करते समय गहरी श्रद्धा के साथ निम्नलिखित मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है: ‘ॐ जय लक्ष्मी माता, मैं तुम्हें प्रणाम करती हूँ।’। जब आरती की थाली में दीप जलता है, तब इसे देवी के सामने घुमाया जाता है, जिससे भक्त अपनी मनोकामनाएँ प्रस्तुत करते हैं।
लक्ष्मी जी की आरती का लाभ
लक्ष्मी जी की आरती को नियमित रूप से करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लोगों का मानना है कि आरती करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और घर में धन एवं समृद्धि का वास होता है। इसके अलावा, यह मानसिक शांति और सुख प्राप्त करने का एक साधन भी है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, लक्ष्मी जी की आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समृद्धि, धन और भाग्य की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण साधन भी है। भक्ति और श्रद्धा के साथ की गई आरती व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाने का एक रास्ता बन जाती है। इसलिए, भक्तों को नियमित रूप से इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।


