রবিবার, অক্টোবর 19

लक्ष्मी आरती: देवी लक्ष्मी की स्तुति

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लक्ष्मी आरती का महत्व

लक्ष्मी आरती, देवी लक्ष्मी की आराधना का एक विशेष रूप है, जो समृद्धि, धन और खुशहाली की देवी मानी जाती हैं। हिंदू धर्म में उनकी पूजा प्रमुखता से होती है, विशेषकर दीपावली जैसे त्योहारों पर। देवी लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। आरती का पाठ भक्तों को मानसिक शांति और आत्मिक सुकून प्रदान करता है।

लक्ष्मी आरती का पाठ

लक्ष्मी आरती का पाठ परंपरागत रूप से दीपावली महापर्व पर किया जाता है। भक्त लोग आरती का पाठ करते समय विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाते हैं। यह आरती साधारणतः मंत्रों और स्तोत्रों के साथ की जाती है, जो देवी की महिमा का वर्णन करते हैं। इस आरती में कुछ विशेष पंक्तियाँ होती हैं जो लक्ष्मी जी की कृपा और आशीर्वाद की कामना करती हैं।

आरती के आयोजन का तरीका

लक्ष्मी आरती का आयोजन औसततः परिवार के सदस्यों के साथ किया जाता है। लोग दीप जलाकर, फूल और मीठे पदार्थों का भोग लगाकर आरती का संयोग करते हैं। इस समय भक्तजन एकत्रित होकर देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और उनकी आरती गाते हैं। इसकी एक विशेष प्रथा है कि किसी भी प्रकार के कष्ट या धन के अभाव से बचाव के लिए इसकी रात्रि के समय पूजा की जाती है।

निष्कर्ष

लक्ष्मी आरती न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह धन और सुख-शांति की प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। भक्तों के लिए यह एक अवसर है देवी लक्ष्मी से आशीर्वाद मांगने का, ताकि उनके जीवन में सुख-समृद्धि का संचार हो सके। नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से मानसिक शांति और धनवृद्धि की संभावनाएँ बढ़ती हैं।

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