राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) और इसकी भूमिका

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का परिचय
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, सामरिक समीक्षा और नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका गठन 1998 में किया गया था, और तब से यह देश के सुरक्षा मामलों में निर्णय लेने की प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। NSC का उद्देश्य संपूर्ण सुरक्षा वातावरण का विश्लेषण करना और संभावित खतरों के प्रति देश को सुसज्जित करना है।
NSC के कार्य और संरचना
NSC की संरचना में तीन प्रमुख अंग शामिल हैं: मुख्य NSC, अधीनस्थ समिति और स्टाफ समितियां। मुख्य NSC का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) करते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे वरिष्ठ सदस्य भी शामिल होते हैं। इस परिषद की बैठकें नियमित रूप से होती हैं, जहां से विभिन्न सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
NSC विभिन्न सुरक्षा रणनीतियों को लागू करने, उच्च स्तर की खुफिया सूचनाओं का विश्लेषण करने और संकट प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें आंतरिक और बाहरी सुरक्षा दोनों पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है।
हाल के कार्यों और चुनौतियाँ
हाल के दिनों में, NSC के सामने कई चुनौतियाँ आई हैं, इनमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और भू-राजनीतिक तनाव शामिल हैं। 2023 में, NSC ने एक नई सामरिक रिपोर्ट जारी की, जो चीन और पाकिस्तान की सुरक्षा नीतियों का विश्लेषण करती है। इस रिपोर्ट में, यूक्रेन संकट के प्रभावों पर भी चर्चा की गई है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) भारत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण निकाय है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा के मुद्दों पर नज़र रखता है। इसके निर्णय और नीतियाँ देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भविष्य में, NSC को नई चुनौतियों का सामना करते हुए एक समग्र और प्रभावी रणनीति विकसित करने की आवश्यकता होगी, जिससे भारत की सुरक्षा और प्रगति सुनिश्चित हो सके।