মঙ্গলবার, জুলাই 22

राजेश खन्ना: भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार

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राजेश खन्ना का परिचय

राजेश खन्ना, जिन्हें भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार के रूप में जाना जाता है, का जन्म 29 दिसंबर, 1942 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1966 की फिल्म ‘आखिरी खत’ से की और जल्द ही दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान बना लिया। उनकी अदाकारी, व्यक्तित्व और चार्म ने उन्हें सिनेमा का एक अनूठा सितारा बना दिया।

सफलता की कहानियाँ

राजेश खन्ना का करियर मुख्य रूप से 1970 और 1980 के दशक में ऊंचाई पर था। उन्होंने ‘अराधना’, ‘बंदर कैसे बचे’, ‘कटी पतंग’, और ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी कई हिट फिल्में दीं। उनकी फिल्मों में रोमांस, ड्रामा और संवेदनशीलता का अनूठा मिश्रण होता था, जो दर्शकों को आकर्षित करता था। उनकी दो पंक्तियां, ‘बाबू मोशाय, ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं’ ने तो विशेष रूप से दर्शकों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी।

सामाजिक और राजनीतिक योगदान

राजेश खन्ना केवल एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी खुलकर अपनी राय रखते थे। 1991 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़कर राजनीति में कदम रखा और अपनी सीट को जीतने में सफल रहे। उनके राजनीति में आने से फिल्म उद्योग और राजनीति के बीच एक नया सेतु बना।

विरासत

राजेश खन्ना का निधन 18 जुलाई, 2012 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनकी फिल्में आज भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं और युवा पीढ़ी उन्हें देखकर प्रेरित होती है। भारत में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

निष्कर्ष

राजेश खन्ना का नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा रहेगा। उनकी रचनाएँ और यथार्थवादी अदाकारी का असर न केवल फिल्म उद्योग पर पड़ा, बल्कि उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रभाव डाला। उनका जीवन एक प्रेरणा है, और आज भी वे लाखों दिलों में बसे हैं।

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