রবিবার, সেপ্টেম্বর 7

येमेन: संकट की वर्तमान स्थिति और उसके प्रभाव

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येमेन का संघर्ष और मानवीय संकट

येमेन, जो मध्य पूर्व में स्थित है, पिछले कुछ वर्षों से गंभीर संघर्ष का सामना कर रहा है, जिसने एक गंभीर मानवीय संकट को जन्म दिया है। यह देश एक समय पर मध्य पूर्व के सबसे समृद्ध देशों में से एक था, लेकिन अब यहां की स्थिति एक आपदा में बदल चुकी है।

संघर्ष की स्थिति

2015 में येमेन में गृहयुद्ध शुरू हुआ, जब हूथी विद्रोहियों ने सरकार का नियंत्रण अपने हाथ में लिया। इस संघर्ष ने न केवल राजनीतिक अस्थिरता पैदा की है, बल्कि लाखों लोगों को बेघर कर दिया है। युनाइटेड नेशंस के अनुसार, येमेन में अनुमानित 24 मिलियन लोग, या लगभग 80% आबादी, मानवीय सहायता की आवश्यकता में हैं।

भोजन और स्वास्थ्य संकट

येमेन में भुखमरी की स्थिति अत्यंत गंभीर है। विश्व खाद्य कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में लगभग 17 मिलियन लोग भोजन के बिना रह गए हैं। स्थिति को और भी खराब करते हुए, देश के स्वास्थ्य ढांचे का पतन हो गया है। आवश्यक चिकित्सा सेवाएं गायब हैं, जिससे असाधारण बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय प्रयास और सहायता

संघर्ष के बीच में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने येमेन के लिए मानवीय सहायता बढ़ाने की कोशिश की है। विभिन्न देश और एनजीओ युनाइटेड नेशंस के माध्यम से राहत कार्य कर रहे हैं। हालांकि, स्थिति की गंभीरता के कारण, सहायता में अक्सर कमी आती है, और आवश्यकताओं की भरपाई नहीं हो पाती।

निष्कर्ष

येमेन की स्थिति वर्तमान में अत्यंत चिंताजनक है। इस संकट का स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। युनाइटेड नेशंस का कहना है कि येमेन का संकट दुनिया के सबसे बड़े मानवतावादी संकटों में से एक है। अगर स्थिति में तात्कालिक सुधार नहीं लाया गया, तो आने वाले समय में इसके प्रभाव और भी गहरे हो सकते हैं।

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