রবিবার, ডিসেম্বর 14

मोहन भागवत: आरएसएस के मौजूदा नेतृत्व और उनकी विचारधारा

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परिचय

मोहन भागवत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख, भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं। उनकी विचारधारा और नेतृत्व ने संघ के लक्ष्यों और गतिविधियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। भागवत का कार्यक्षेत्र न केवल संगठनों तक ही सीमित है, बल्कि वे भारतीय राजनीति और समाज पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं।

मोहन भागवत का जीवन और कार्य

मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से Veterinary Science में डिग्री प्राप्त की। भागवत ने 1975 में न्यूक्लिअर पावर प्लांट में काम करने के बाद मानव सेवाश्रम में स्वयंसेवक के रूप में कार्य करना शुरू किया। इसके बाद, उन्होंने RSS के विभिन्न कार्यों में जल्द ही महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई। 2009 में, उन्हें आरएसएस का सरसंघचालक बनाया गया।

उनकी विचारधारा और नेतृत्व

भागवत के नेतृत्व में, आरएसएस ने भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व और सामाजिक एकता पर जोर दिया है। वे अक्सर शिक्षा, युवा सशक्तीकरण और सेवा कार्यों में भूमिका निभाते हैं। भागवत ने समाज में समरसता को बढ़ावा देने और विभिन्न जातियों और धर्मों के बीच एकजुटता की आवश्यकता पर बल दिया है।

हाल की गतिविधियाँ

हाल ही में, भागवत ने विभिन्न राज्यों में आयोजित परिसंवादों में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने भारत की विकास यात्रा, संस्कृति और सामाजिक एकता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे आरएसएस ने सभी वर्गों के लोगों को जोड़ने और सहयोगात्मक कार्यों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित किया है।

निष्कर्ष

मोहन भागवत का नेतृत्व भारतीय समाज एवं राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके विचार एवं नीतियाँ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक साबित हो रही हैं। आगे चलकर, यह देखना दिलचस्प होगा कि भागवत अपनी दृष्टि और नेतृत्व में किस दिशा में आगे बढ़ते हैं, और उनका प्रभाव किस तरह से भारतीय राजनीति एवं समाज पर पड़ता है।

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