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मोरारजी देसाई: भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा

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परिचय

मोरारजी देसाई भारतीय राजनीति के एक प्रतिष्ठित नेता थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर स्वतंत्र भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी कमान के तहत भारत ने कई सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक बदलावों को देखा।

जीवनी

मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात राज्य के भावनगर में हुआ था। उन्होंने अपने शैक्षणिक करियर की शुरुआत मुंबई में की और बाद में सत्याग्रह में शामिल होकर स्वतंत्रता संग्राम में कदम रखा। स्वतंत्रता के बाद, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता बने और बाद में जनता पार्टी के प्रवक्ता के रूप में उभरे।

राजनीतिक करियर

देसाई ने 1977 से 1979 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने आपातकाल की समाप्ति के बाद एक लोकतांत्रिक सरकार स्थापित की और कई सामाजिक सुधारों को लागू किया। उनके शासन में ‘भारत के पहले गैर-कांग्रसी प्रधानमंत्री’ होने का गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने देश की आर्थिक नीतियों को सुधारने हेतु कई योजनाएं प्रस्तुत की।

सामाजिक योगदान

मोरारजी देसाई का मानना था कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार ही एक सशक्त समाज की नींव है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय का नेतृत्व करते हुए कई स्वास्थ्य कार्यक्रमों और नीतियों को लागू किया। उनकी जीवंतता का एक उदाहरण यह है कि उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी सामाजिक कार्यों में अपनी रुचि बनाए रखी।

निष्कर्ष

मोरारजी देसाई का योगदान भारतीय राजनीति और समाज में लौह मुद्रा के रूप में स्थापित है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति के विचार और कर्म कितने महत्वपूर्ण होते हैं। भविष्य में उनकी नीतियों और दृष्टिकोणों का अध्ययन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा। देसाई का जीवन यह स्पष्ट करता है कि नेतृत्व का अर्थ केवल सत्ता में होना नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की भलाई के लिए काम करना है।

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