मैरी कोम: मुक्केबाजी की बुनियाद पर खड़ी एक प्रेरणा

मैरी कोम का परिचय
मैरी कोम, जिसे ‘मैनी’ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय मुक्केबाजी की एक जीवित किंवदंती हैं।
उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें 6 बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव शामिल है। उनका संघर्ष और सफलता न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में प्रेरणा का स्त्रोत बन चुकी है।
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ
मैरी कोम का नाम कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतने के लिए लिया जाता है। ओलंपिक खेलों में उन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारतीय खेलों में एक नया अध्याय जोड़ा। इसके अलावा, उन्होंने एशियन गेम्स 2014 में भी स्वर्ण पदक जीता।
हालिया घटनाएँ
हाल ही में, मैरी कोम ने भारतीय टीम की कोच की भूमिका में भी कदम रखा है। उन्होंने आगामी टूर्नामेंट्स के लिए युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है, ताकि भारतीय मुक्केबाजी को नई ऊँचाइयों पर ले जाया जा सके।
निष्कर्ष
मैरी कोम की कहानी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। उनकी मेहनत, समर्पण और संघर्ष ने उन्हें केवल एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि परिवर्तन की प्रतीक बना दिया है। भविष्य में भी उनके जीवन और करियर से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। उनकी उपलब्धियों के कारण भारत में युवा खिलाड़ियों को अपने सपनों का पीछा करने में अधिक उत्साह मिलेगा।