माँ दुर्गा पूजा: भूमिका और महत्व

माँ दुर्गा पूजा का महत्व
माँ दुर्गा पूजा, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर वर्ष सितंबर या अक्टूबर में मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता और एकता का भी निमंत्रण देता है। माँ दुर्गा की आराधना के दौरान भक्तजन उनकी शक्ति, साहस और संजीवनी क्षमताओं का सम्मान करते हैं।
त्योहार का इतिहास
माँ दुर्गा पूजा का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है, जिसका जिक्र प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। इसे खासतौर पर बंगाल में विधिपूर्वक मनाने की परंपरा है। इस दौरान चार दिनों तक श्रद्धालु दुर्गा माँ की प्रतिमा की पूजा करते हैं और विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
दुर्गा पूजा की रस्में
दुर्गा पूजा का पर्व दशमी तक चलता है। पूजा का आरंभ ‘महासप्तमी’ से होता है, जिसमें कलश स्थापना की जाती है। इसके बाद ‘महानवमी’ मनाई जाती है। भक्तजन माँ दुर्गा की विशेष पूजा करते हैं और विभिन्न भोग अर्पित करते हैं। दशमी के दिन, माँ की विदाई का कार्यक्रम होता है, जिसमें रंग-बिरंगी झांकियों और डांडिया डांस का आयोजन होता है।
समाज में सकारात्मक प्रभाव
माँ दुर्गा पूजा न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह समाज में भाईचारे और एकता का संदेश भी फैलाता है। इस दौरान लोग एक दुसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं, विभिन्न समाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। यह पर्व समाज के कमजोर तबकों के लिए सहयोग और सहायता प्रदान करने का अवसर भी बनाता है।
निष्कर्ष
माँ दुर्गा पूजा का पर्व हमारे समाज की संस्कृति और धार्मिक विश्वासों का प्रतीक है। यह हमें एकजुट करता है और आत्मिक शक्ति का संचार करता है। यह त्योहार भारतीय महत्त्वता को दर्शाता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए हमें सांस्कृतिक मान्यताओं के प्रति जागरूक करता है।